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Chapter-1   अपठित गदयांश
Q-1 Answer the following questions.

देशभक्ति के गीतों की परंपरा में महेंद्र कपूर का नाम महत्त्वपूर्ण है। जब भी हम महेंद्र कपूर का जिक्र करते हैं तो
हमारे मन में उनकी छवि देशराग के एक अहं गायक के रूप में कौंधती है। यह सच है कि देशभक्ति और परंपरागत मूल्यों
के जितने लोकप्रिय और अनूठे गाने महेंद्र कपूर ने गाए हैं, उतने किसी और गायक ने नहीं गाए होंगे।
महेंद्र कपूर के नाम का स्मरण करते ही हमारे हृदय में एक ऐसे गायक की तस्वीर उभरती है जिसने देशभक्ति,
सामाजिक मान-मर्यादा, उच्च संस्कारों से ओतप्रोत गीत गाए हों। महेंद्र कपूर न सिर्फ एक गायक थे बल्कि एक ऐसी
शख्यिसत थे जिनकी छवि बेहद सहज और शालीन इंसान की रही है। वे बेहद अनुशासन के साथ अपने सुरों को साधते
थे। सचमुच वे दिलों को जीत लेते थे, जब वे गर्व से कहते थे - फ्जीते हैं तुमने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है।य्

(1) किस प्रकार के गीतों के लिए महेंद्र कपूर का नाम महत्त्वपूर्ण है?
(2) महेंद्र कपूर ने किस प्रकार के गाने अधिक गाए हैं?
(3) ‘शख्सियत’ का क्या तात्पर्य है?
(4) ‘जिक्र’ का हिंदी पर्याय क्या है?
(5) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा?
Q-2 Answer the following questions.

डॉ अब्दुल कलाम को ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है। वे बहुत गरीब परिवार के थे। जब वे छठी कक्षा में पढ़ते
थे, तभी समाचारपत्र में दूसरे महायुद्ध के सुप्रसिद्ध बमवर्षक विमान ‘स्पटफायर’ (यंत्रबाण) के विषय में पढ़कर इन्होंने
वैमानिकी के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने का निश्चय कर लिया था। यही नहीं वैमानिकी की हर बारीकी इन्होंने अपने छात्र
जीवन से ही भली प्रकार जान ली थी। डॉú कलाम के शब्दों में, ‘विज्ञान वैदिक साहित्य की तरह है, सरल और
संवेदनशील।’ 1958 में वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से जुड़ गए और 1980 तक के लंबे सेवाकाल में इन्होंने देश
को अंतरिक्ष अनुसंधान की बुलंदी तक पहुँचाया। इस शृंखला में 1967 में ‘रोहिणी’ नामक रॉकेट छोड़ा, 1980 में भारत का
पहला उपग्रह प्रक्षेपणयान एस-एल-वी-3 का श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण किया। इतना ही नहीं, 1982 में डी-आर-डी-ओ- के
निदेशक के रूप में इन्होंने मिसाइल परियोजना के तहत पाँच प्रमुख मिसाइलों के कार्यक्रम पर अनुसंधान किए। 

(1) डॉ कलाम को किस नाम से जाना जाता है?
(2) डॉ कलाम ने विज्ञान को किसके समान बताया?
(3) डॉ कलाम को बमवर्षक विमान की जानकारी किस कक्षा में हुई?
(4) भारत के प्रथम उपग्रह प्रक्षेपण यान का क्या नाम है?
(5) ‘अनुसंधान’ का क्या अर्थ है?
Q-3 Answer the following questions.

मैं सावन-भादों में भी वहाँ गया हूँ और मैंने इस प्रपात के यौवन के वेग को भी देखा है जो सौ-डेढ़ सौ फीट की
अपनी चौड़ी धारा की प्रबल भुजाओं में धरती के चटकीले धानी आँचल में उफनते सावन को कसने के लिए व्याकुल हो
जाता है। और मैंने देखा है कि जब अंबर में बादलों का आलिंगन करने वाली सौदामिनी धरती के इस सौभाग्य की ईर्ष्या में
तड़प उठती है तब वह प्रपात फूलकर दुगुना हो जाता है। शरद की चाँदनी में जब रात्रि पुलकित हो गई है और जब इस
प्रपात के यौवन का मद खुमार पर आ गया है और इस खुमारी में इसका सौंदर्य बढ़ गया है और तभी जाकर मैंने शरदेंदु को
इस प्रपात की शांत, तरल, स्फटिक धारा पर फिसलते हुए देखा है। पहली बार जब मैं गया था तो वहाँ ठहरने का कोई
स्थान नहीं था और इसलिए खड़ी दुपहरी में चट्टानों की ओर से ही छाँह मिल सकी। यहाँ सौंदर्य का दर्शन भी मिलता है।
मृत्यु स्वयं ऐसे उन्मादी सौंदर्य के आगे हार मान लेती है।

(1) लेखक ने क्या देखा है?
(2) आसमान में बादलों का आलिंगन कौन करता है?
(3) ‘स्फटिक’ शब्द का क्या अर्थ है?
(4) मृत्यु किसके सामने हार मान लेती है?
(5) लेखक ने शरदेंदु को कहाँ फिसलते हुए देखा?
Q-4 Answer the following questions.

स्वस्थ, सुखी और संतुलित जीवन का मार्ग है-संयम। संस्कारों को परिमार्जित करने का नाम ही संयम है। संयम
एक प्रकार का स्वस्थ और संतुलित जीवन है। यदि हमारे जीवन में स्वास्थ्य व संतुलन न हो तो जीवन सुचारु रूप से चल
नहीं पाएगा और कोई भी मानव असंतुलित व अस्वस्थ जीवन जीना भी नहीं चाहेगा। जो हमारे मन और इंद्रियों को मलिन
करे, ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए। जब हम शरीर से अस्वस्थ होते हैं तो विचार करते हैं कि गलत खाने से तबियत बिगड़
जाएगी इसलिए अपाच्य भोजन मत ग्रहण करो। पर यहाँ हमारी चेतना और आत्मा की तबियत रोज बिगड़ रही है, तब कोई
चिंता नहीं। हमारे भीतर से ही यह विचार आना चाहिए कि जैसे शरीर की फिक्र है, वैसे ही चेतना के उत्थान और पतन के
लिए भी सोचना चाहिए। इंद्रियाँ घोड़े के समान हैं। घोड़े पर यात्र करने के लिए उसकी लगाम हम हाथ में रखते हैं।

(1) संस्कारों को परिमार्जित करने का नाम क्या है?
(2) किस के बिना जीवन सुचारु रूप से नहीं चल पाएगा?
(3) ‘लगाम हाथ में रखने से’ क्या तात्पर्य हैं?
(4) हमें कैसा भोजन ग्रहण नहीं करने के लिए कहा गया है?
(5) ‘संतुलित’ शब्द में क्या उपसर्ग और प्रत्यय हैं?
Q-5 Answer the following questions.

आदमी की पहचान उसकी भाषा से होती है और भाषा संस्कार से बनती है। जिसके जैसे संस्कार होंगे, वैसी ही
उसकी भाषा होगी। जब कोई आदमी भाषा बोलता है तो साथ में उसके संस्कार भी बोलते हैं। यही कारण है कि भाषा
शिक्षक का दायित्व बहुत गुरुतर और चुनौतीपूर्ण है। परंपरागत रूप में शिक्षक की भूमिका इन तीन कौशलों-बोलना, पढ़ना
और लिखना तक सीमित कर दी गई है। केवल यांत्रिक कौशल किसी जीती-जागती भाषा का उदाहरण नहीं हो सकते हैं।
सोचना और महसूस करना दो ऐसे कारक हैं जिनमें भाषा सही आकार पाती है। इनके बिना भाषा, भाषा नहीं है, इनके
बिना भाषा संस्कार नहीं बन सकती, इनके बिना भाषा युगों-युगों का लंबा सफर नहीं तय कर सकती, इनके बिना कोई
भाषा किसी देश या समाज की धड़कन नहीं बन सकती। केवल संप्रेषण ही भाषा नहीं है। दर्द और मुस्कान के बिना कोई
भाषा जीवंत नहीं हो सकती।

(1) आदमी की पहचान किससे होती है?
(2) आदमी की भाषा से उसके बारे में क्या पता चलता है?
(3) भाषा के कौशल कौन-कौन से हैं?
(4) भाषा कब सही आकार पाती है?
(5) कोई भाषा किसके बिना जीवंत नहीं हो सकती?
Q-6 Answer the following questions.

साधारणतः शिक्षक योगी नहीं होता पर उसका भाव वही होना चाहिए जो किसी योगी का अपने शिष्य के प्रति
होता है। अनेक शरीरों में भ्रमते हुए आज इसने मानव देह पाई है और मेरे पास छात्र रूप में आया है। यदि मैं इसको ठीक
मार्ग पर लगा सका, इसके चरित्र के यथोचित विकास प्राप्त करने में बल जुटा सका, तो समाज का भला होगा और इसका
न केवल ऐतिहासिक वरन् आत्मिक कल्याण होगा। यदि इसे आगे शरीर धारण भी करना पड़ा तो वह जन्म इस जन्म से
ऊँचा होगा। इस समय वह बात-बात में परिस्थितियों से अभिभूत हो जाता है। इसकी स्वतंत्र आत्मा प्रतिक्षण अपने बंधनों
को तोड़ना चाहती है पर ऐसा कर नहीं पाती। यदि इसकी बुद्धि को शुद्ध किया जाए और क्षुद्र वासनाओं से ऊपर उठाया
जाए तो आत्मा परिस्थितियों पर विजय पाने में समर्थ होने लगेगी और इसको अपनी ज्ञान-शक्ति, आनंदमय स्वरूप का
आभास मिलने लगेगा।

(1) शिक्षक का भाव कैसा होना चाहिए?
(2) मानव देह कैसे प्राप्त हुई है?
(3) आत्मा परिस्थितियों पर कब विजय प्राप्त करेगी?
(4) आनंदमय स्वरूप का आभास कब मिलेगा?
Q-7 Answer the following questions.

संसार के सभी लोग आजादी को प्राणों से भी प्यारा मानते हैं। पराधीन देशों के लोगों की सदा यही कोशिश रही
है कि जितनी जल्दी हो सके विदेशी दासता की बेड़ियाँ तोड़कर फेंक दें। स्वाधीनता के दीवानों ने अपने उद्देश्य की पूर्ति
के लिए वही मार्ग चुना जिसमें उन्हें सफलता की ज्योति दिखलाई दी। अंग्रेजी दासता के दुर्भाग्यपूर्ण दिनों में हमारा जो
स्वाधीनता संग्राम जारी था, उसमें भारत के कुछ लोगों ने अहिंसा का रास्ता अपनाया। कुछ लोगों ने अंग्रेजों के अत्याचार
का बदला हिंसा से भी लिया। भगतसिंह भी उनमें से एक थे। भगतसिंह ने राष्ट्र के गुस्से को प्रकट करने के लिए विधान
सभा में बम फेंका।

(1) लोग प्राणों से प्यारा किसे मानते हैं?
(2) अंग्रेजी दासता के विरुद्ध भारत के कुछ लोगों ने कौन-सा रास्ता अपनाया?
(3) भगतसिंह कौन थे?
Q-8 Answer the following questions.

शिक्षा का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके बिना हमारा जीवन आधारहीन हो जाता है। शिक्षा के विषय
में जानने के लिए हमें इसका अर्थ जानना जरूरी है। शिक्षा का वास्तविक अर्थ और प्रयोजन व्यक्ति को व्यावहारिक बनाना
होता है, न कि शिक्षित होने के नाम पर अहं और गर्व का हाथी उसके मन-मस्तिष्क पर बाँध देना। हमारे देश में स्वतंत्रता
प्राप्ति के बाद से जो शिक्षा नीति और पद्धति चली आ रही है, वह लगभग डेढ सौ साल पुरानी है। इन्होंने एक उत्पादक
मशीन का काम किया है, इस बात पर एकदम ध्यान नहीं दिया है कि इस देश की अपनी आवश्यकताएँ और सीमाएँ क्या
हैं? इस देश के निवासियों को किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है? बस सुशिक्षितों, साक्षरों की एक लंबी पंक्ति इस
देश में खड़ी कर दी है, जो किसी दफ्ऱतर में क्लर्क बनने का सपना देख सकते हैं।

(1) हमारे जीवन में किसका महत्त्व है?
(2) शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(3) हमारे देश में डेढ़ सौ साल पुरानी क्या है?
(4) इस देश के निवासियों को किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है?
Q-9 Answer the following questions.

मनुष्य अपने भविष्य के बारे में चिंतित है। सभ्यता की अग्रगति के साथ ही चिंताजनक अवस्था उत्पन्न होती जा
रही है। इस व्यावसायिक युग में उत्पादन की होड़ लगी हुई है। कुछ देश विकसित कहे जाते हैं, कुछ विकासोन्मुख।
विकसित देश वे हैं जहाँ आधुनिक तकनीक का पूर्ण उपयोग हो रहा है। ऐसे देश नाना प्रकार की सामग्री का उत्पादन करते
हैं और उस सामग्री की खपत के लिए बाजार ढूँढ़ते हैं। अत्यधिक उत्पादन-क्षमता के कारण ही ये देश विकसित और
अमीर हैं। विकासोन्मुख या गरीब देश उनके समान ही उत्पादन करने की आकांक्षा रखते हैं और इसीलिए उन सभी
आधुनिक तरीकों की जानकारी प्राप्त करते हैं। उत्पादन-क्षमता बढ़ाने का स्वप्न देखते हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि
सारे संसार में उन वायुमंडलीय यंत्रें की भीड़ बढ़ने लगी है जो विकास के लिए परम आवश्यक माने जाते हैं। इन
विकास-वाहक उपकरणों ने अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं। वायुमंडल विषाक्त गैसों से ऐसा भरता जा रहा
है कि मनुष्य का सारा पर्यावरण दूषित हो उठा है, जिससे वनस्पतियों तक के अस्तित्व संकटापन्न हो गए हैं। 

(1) विकासोन्मुख देश वे हैं जो -
(2) वायुमंडल विषाक्त क्यों होता जा रहा है?
(3) देशों की आपसी प्रतिद्वंद्विता बढ़ने का क्या कारण है?
(4) ‘अग्रगति’ शब्द का अर्थ उदाहरण देकर बताएँ।
Q-10 Answer the following questions.

संयोग की बात, झूरी ने एक बार गोई को ससुराल भेज दिया। बैलों को क्या मालूम, वे क्यों भेजे जा रहे हैं। समझे,
मालिक ने हमें बेच दिया। अपना यों बेचा जाना उन्हें अच्छा लगा या बुरा, कौन जाने, पर झूरी के साले गया को घर तक
गोई ले जाने में दाँतों पसीना आ गया। पीछे से हाँकता तो दोनों पीछे की जोर लगाते। मारता तो दोनों सींग नीचे करके
हुँकारते। अगर ईश्वर ने उन्हें वाणी दी होती, तो झूरी से पूछते-तुम हम गरीबों को क्यों निकाल रहे हो? हमने तो तुम्हारी
सेवा करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। अगर इतनी मेहनत से काम न चलता था, तो और काम ले लेते। हमें तुम्हारी
चाकरी में मर जाना कबूल था। हमने कभी दाने-चारे की शिकायत नहीं की। तुमने जो कुछ खिलाया, वह सिर झुकाकर
खा लिया, फिर तुमने हमें इस जालिम के हाथ क्यों बेच दिया?

(1) झूरी ने दोनों बैलों को कहाँ भेज दिया?
(2) ‘वियोग’ का विलोम शब्द है?
(3) ‘दाँतों पसीना आ जाना’ का क्या अर्थ है?
(4) ‘जालिम’ का उचित अर्थ क्या है?
Chapter-3   शब्द - निमार्ण - उपसर्ग एवं प्रत्यय
Q-1 निम्नलिखित शब्दों में उपसर्गों एवं मूल शब्दों के सही जोड़े को रेखांकित कीजिए-
(1) प्रहार
(2) अवनति
(3) आमरण
(4) अपमान
Q-2 निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग अलग कीजिए-
1- अपमान
2- प्रहार
3- प्रदर्शन
4- बदनसीब
5- अवनति
6- उन्नति
7- सदाचार
Q-3 निम्नलिखित उपसर्गों से निर्मित दो-दो शब्द लिखिए -
(क) अंतः
(ख) पुरा
(ग) चिर्
(घ) पुरस्
(घ) खुश
(छ) प्र
Q-4 निम्नलिखित शब्दों में उचित उपसर्गों का प्रयोग करके शब्द-निर्माण कीजिए-
(क) मान
(ख) कर्म
(ग) मोल
(घ) नाम
(घ) कायदा
(च) कार
(छ) इज्जत
Multiple Choice Questions
Q-1 ‘निर् + वाह’ से बना शब्द है-

(i)

निरवाह

(ii)

निर्वाह

(iii)

र्निवाह

(iv)

निर्वाह
Q-2 ‘सम् + बंध’ से बना शब्द है-

(i)

सबंध

(ii)

सबन्ध

(iii)

संबंध

(iv)

सबंध
Q-3 ‘निः + संकोच’ से बना शब्द है-

(i)

निस्संकोच

(ii)

निसंकोच

(iii)

निःसंकोच

(iv)

निश्कसेच
Q-4 ‘प्रति + एक’ से बना शब्द है-

(i)

पर्त्येक

(ii)

प्रत्येक

(iii)

प्रतिएक

(iv)

प्रत्यएक
Q-5 ‘अनु + मान’ से बना शब्द है-

(i)

अनूमान

(ii)

अनमान

(iii)

अनुमान

(iv)

अमनाम
Chapter-4   शब्द - निमार्ण - समास
Q-1 Answer the following questions.
1- समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
2- समास के कितने भेद हैं? नाम लिखिए।
Q-2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) रीना और सोहन दोनों ------------------------------- (भाई और बहन) हैं।
(2) सोहन ------------------------------- (हर दिन) अख़बार पढ़ता है।
(3) मनुष्य का शरीर ------------------------------- (अन्न और जल) से बना है।
(4) भगवान विष्णु को ------------------------------- (चक्र धारण करने वाला) कहा जाता है।
(5) श्याम ------------------------------- (कम बुद्धि वाला) लड़का है।
Q-3 सही समास-विग्रह को कीजिए-
(1) आजीवन
(2) देशागत
(3) चंद्रबदन
(4) रातोंरात
Q-4 सही उत्तर
(1) जिस समास में पूर्वपद संख्यावाची होता है-
(2) जिस समास में दोनों पदों के बीच कारक-चिह्नों का लोप हो जाता है-
(3) ‘देशभक्ति’ समस्तपद का समास-विग्रह है-
(4) ‘रसोईघर’ का समास-विग्रह है-
Q-5 रेखा खींचकर समस्तपद और समास-विग्रह का मिलान कीजिए-
Q-6 अंतर स्पष्ट कीजिए-
(क) संधि और समास
(ख) कर्मधारय और बहुव्रीहि समास
Q-7 निम्नलिखित में समास का नाम बताओ-
(क) नीला है कंठ जिसका
(ख) कमल रूपी चरण
(ग) राजा का पुत्र
(घ) नौ रात्रियों का समूह